Saturday 28 August 2021

रायपुर:अल्प बारिश में सोलर पंप बने फसलों के लिए संजीवनी

 ज़िले में कुल 7025 सोलर पंप स्थापित किये जा चुके है 


रायपुर
28 अगस्त 2021: (छत्तीसगढ़ मेल ब्यूरो)::

राज्य के कई इलाकों में अल्प वर्षा के चलते खरीफ फसलों को सूखने से बचाने में सोलर पंप संजीवनी साबित हो रहे है। सरकार की सौर सुजला योजना के अंतर्गत सुदूर ग्रामीण एवं वनांचल के किसानों के लिए क्रेडा द्वारा स्थापित सोलर पंप फसलों की सिंचाई के लिए भरपूर काम आ रहे हैं। सौर सुजला योजना लघु एवं सीमांत कृषकों के लिए एक सफल योजना है। गरियाबंद जिले में सौर सुजला योजना के तहत अभी तक कुल 7025 सोलर पंप स्थापित किये जा चुके है। उल्लेखनीय है कि गरियाबंद जिले में सौर सुजला योजना के प्रथम चरण से लेकर चतुर्थ चरण तक 5860 सोलर पंपों की स्थापना की गई है। सोलर पंपों की स्थापना की दृष्टि से गरियाबंद जिला अग्रणी है। जिले में सौर सुजला योजना के पंचम चरण में 2000 पंप स्थापना के लक्ष्य के विरूद्ध अब तक 1235 पंप स्थापित किये जा चुके है। शेष पंपों की स्थापना का काम जारी है।

सौर सुजला योजना के तहत विद्युतविहीन एवं दूरस्थ ग्रामों के किसानों को कृषि कार्य हेतु 95 प्रतिशत तक अनुदान में 3.5 लाख से 4.5 लाख रूपये लागत मूल्य के सोलर पंपों को मात्र 10 हज़ार से 21 हजार रूपये में प्रदान किया जा रहा है। पहले किसानों के पास सिंचाई के साधन उपलब्ध नहीं होने पर वे पूर्ण रूप से फसलों की सिंचाई के लिये वर्षा पर निर्भर रहते थे। बारिश नहीं होने या अल्प वर्षा की स्थिति में किसानों की फसल खराब हो जाती  थी, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान होता था। वर्तमान में सौर सुजला योजना ने किसानों को काफी राहत दी है। इस योजना से स्थापित सोलर पंप के कारण अब किसानों को  बारिश पर निर्भर नहीं होना पडता है तथा सिचाई की सुविधा मिल जाने से अब पैदावार  भी बेहतर होने लगी है। सौर सुजला योजना के तहत लाभान्वित किसानों की आर्थिक स्थिति में लगातार सुधार आ रहा है।

विकासखण्ड मैनपुर के ग्राम पथर्री के किसान श्री श्रवण सिंह, जयराम नेताम, धनसिंग नेताम ने बताया कि सिंचाई के साधन उपलब्ध नहीं होने से बमुश्किल खरीफ फसलों की खेती कर पाते थे । आज स्थिति यह है कि खरीफ साथ-साथ अब वह रबी फसलों की भी खेती करने लगे हैं। इससे उनकी आमदनी बढ़ी है। जीवन स्तर में बदलाव आया है। इसी तरह विकासखण्ड देवभोग के ग्राम कुम्हडईकला के किसान श्री शेषमल गिरिराज एवं श्री तुलसीदास पात्रा पहले सिंचाई साधन उपलब्ध नहीं होने के कारण कृषि जमीन होते हुये भी फसल नहीं ले पा रहे थे, पर सौर सुजला ने उनकी सिंचाई समस्या खत्म कर दी है। अब वह  अपनी जमीन पर सब्जी की भरपूर खेती करने लगे हैं। सोलर पंप लगाने से उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी हुई है।

बिलासपुर : कोरोना काल संकट में मनरेगा बना सहारा

  मनरेगा रोजगार देने में छत्तीसगढ़ देश में प्रथम स्थान पर है 


बिलासपुर
: 28 अगस्त 2021: (छत्तीसगढ़ मेल ब्यूरो)::

कोरोना महामारी के दौरान देश के अधिकांश हिस्सों में लॉकडाउन हो गया, चाहे कोरोना संक्रमण का प्रथम चरण हो या दूसरा चरण दोनों ही समय में देश भर में लॉकडाउन होने से व्यावसायिक और आर्थिक गतिविधियों पर व्यापक प्रभाव देखा गया बहुत सी औद्योेगिक ईकाईयां बंद हो गयी अथवा इनमें उत्पादन प्रभावित हुआ। देश के बड़े-बड़े शहरों से छोटे-छोटे व्यवसाय या मजदूरी करने वाले श्रमिक अपने-अपने गांवों की ओर लौटने लगे इससे छत्तीसगढ़ राज्य के प्रवासी श्रमिक भी बहुत अधिक मात्रा में प्रभावित हुए। 

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देश पर देश के अन्य राज्यों से छत्तीसगढ़ के फंसे श्रमिकों को विशेष ट्रेनों और बसों के माध्यम से लाया गया उन्हें मनरेगा के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराया गया। कोरोना संकट काल की सबसे बड़ी चुनौती थी कि किस प्रकार सुरक्षात्मक उपायों का पालन करते हुए समूह में रोजगार उपलब्ध कराने वाले कार्य जारी रखे जाये. पूरे प्रदेश भर के गांव-गांव में कोरोना से बचाव की गाइडलाइन का पालन किया गया। मनरेगा को आजीविका के साथ ही परिसंपत्तियों और सार्वजनिक सुविधाओं का माध्यम बनाया गया। मनरेगा के कार्याें में छत्तीसगढ़ उत्कृष्ट प्रदर्शन जारी है. वित्तीय वर्ष 2020-21 में मनरेगा जॉब कार्डधारी परिवारों को 100 दिनों का रोजगार देने में छत्तीसगढ़ देश में प्रथम स्थान पर है। 

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने मनरेगा में लगातार अच्छे प्रदर्शन के लिए संबंधित विभागों के शासकीय अधिकारियों, कर्मचारियों तथा पंचायत प्रतिनिधियों को बधाई दी है. उन्होंने कहा कि कोविड 19 के चलते लॉकडाउन के बावजूद मनरेगा के अंतर्गत तत्परता से शुरू हुए कार्याें से ग्रामीणों और प्रवासी मजदूरों को अपने गांव घरों मंे बड़ी संख्या के सीधे रोजगार मिला. मनरेगा के अंतर्गत विषम परिस्थितियों के बावजूद ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

मनरेगा के अंतर्गत सामुदायिक एवं व्यक्तिमूलक संवर्धन के कार्याें के तहत् जल संरक्षण के साथ कृषि, उद्यानिकी और पशुपालन से जुड़ी अधोसंरचना को मजबूत करने के लिए विविधि परिसंपत्तियों का निर्माण किया जा रहा है। प्रदेश के सभी विकासखण्डों में निजी डबरी, कुंआ, भूमि सुधार, तालाब निर्माण, गौठान निर्माण, पशु शेड निर्माण, चारागाह निर्माण, शासकीय भूमि पर वृक्षारोपण, व्यक्तिमूलक फलदार वृक्षारोपण, आंगनबाड़ी भवन निर्माण, हितग्राहियों के लिए बकरी शेड, मुर्गी शेड, महिला समूह के माध्यम से नर्सरी में पौध निर्माण, सिंचाई के लिए नाली निर्माण, बोल्डर डेम, चेक डेम, गोवियन निर्माण तथा महिला समूह के लिए वर्क शेड निर्माण जैसे महत्वपूर्ण कार्य कराये जा रहे है।

मनरेगा कार्यस्थलों पर कोरोना से बचाव और आवश्यक सावधानियों के बारे में भी श्रमिकों को नियमित रूप से जागरूक किया जा रहा है। देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान प्रदेश् भर के ग्रामीणों को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए मनरेगा के अंतर्गत प्रदेश भर में व्यापक स्तर पर काम शुरू किये गये है. इन कार्याें से प्रतिदिन 22 लाख से 25 लाख जॉब कार्ड धारियों को रोजगार उपलब्ध हो रहा है।  

Friday 27 August 2021

कोरबा: बैंक सखी के माध्यम से घर पहुंच हो रहा पेंशन, मजदूरी का भुगतान

 श्रीमती भगवती ने किया तीन करोड़ रूपए से अधिक का लेनदेन 

बैंक सखी की फाईल फोटो 
कोरबा: 27 अगस्त 2021: (छत्तीसगढ़ मेल ब्यूरो)::

बैंक सखी की फाईल फोटो
विकासखण्ड पाली के गांव बड़ेबांका, नानबांका, मदनपुर, चैतमा एवं कुटेलामुड़ा के ग्रामीणों को पेंशन, मजदूरी के भुगतान के लिए बैंक का चक्कर नहीं लगाना पड़ता है। बैंक सखी श्रीमती भगवती धु्रव के कारण अब ग्रामीणों को बैंकिंग सेवाएं घर-पहुंच मिल रही है। इन पांच गांवों के लोगों को मनरेगा भुगतान, पेंशन भुगतान, प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि आसानी से गांव में मिल जा रहा है। गांव के दिव्यांग और वृद्धजनों को पेंशन लेने के लिए बैंक जाने से राहत मिल गई है। बैंक सखी भगवती पांच गांवो के 255 खातों का संचालन कर हितग्राहियों को घर पहुंच राशि का भुगतान कर रही हैं। भगवती दो साल से भी कम समय में तीन करोड़ 11 लाख 49 हजार 807 रूपए का लेनदेन कर चुकी है। राशि लेनदेन के लिए बैंक सखी भगवती को कमीशन भी प्राप्त हुआ है। श्रीमती भगवती अब तक 50 हजार रूपए बैंक कमीशन के माध्यम से प्राप्त कर चुकी हैं। गांव में घर पहुंच बैंकिग सेवाओं के मिल जाने से जहां एक ओर ग्रामीण खुश हैं, वहीं दूसरी ओर बैंक कमीशन के माध्यम से होने वाली आवक ने भगवती को आत्मनिर्भर बना दिया है। भगवती अपने घरेलू और सामाजिक जिम्मेदारियों को पूरा करने के साथ अपने बैंकिंग के कार्यों को समय पर पूरा करते हुए गांव के लोगों को राहत पहुंचा रहीं हैं। बैंक सखी भगवती ग्रामीणों को वृद्धावस्था पेंशन, निराश्रित पेंशन, गोधन न्याय योजना का पैसा एवं मनरेगा मजदूरी जैसे भुगतान हितग्राहियों को उनके खातों के माध्यम से आधार आधारित पेमेंट कर रही है। भगवती यह प्रक्रिया बायो मेट्रिक डिवाइस की सहायता से संचालित कर रही है।

विकासखण्ड पाली के ग्राम पंचायत मदनपुर की रहने वाली भगवती धु्रव बीए सेकेण्ड ईयर की पढ़ाई की है। बैंक सखी बनने से पहले भगवती गृहणी थी। दो बच्चों की मां भगवती बैंकिंग कार्यों के लिए फील्ड में अपने पति के साथ  जाती हैं। भगवती का पति गांव के बाजारों में दुकान लगाते हैं। भगवती ने बताया कि गांव में रोजगार मूलक गतिविधियों में जुड़ने और आर्थिक लाभ कमाने के उद्देश्य से लक्ष्य स्वसहायता समूह में जुड़ी। समूह में जुड़कर बैंक सखी का काम शुरू किया। भगवती के बैंक सखी बन जाने से ग्रामीणों को आसानी से बैंकिंग सुविधा का लाभ मिल रहा है। ग्रामीणों को खाता खुलवाने के लिए कहीं दूर जाना नहीं पड़ता है। भगवती के माध्यम से गांव में ही खाता खुल जाता है। गांव में बैंकिंग सेवा उपलब्ध होने से लोगों के समय और धन की बचत भी हो रही है। बैंक सखी के माध्यम से सरकार के विभिन्न शासकीय योजनाओं के सफल संचालन में सहयोग मिल रहा है।

Monday 23 August 2021

नक्सली आतंक के बावजूद बिजली की रौशनी सफलता से पहुंचाई

 उजाले के लिए तरस रहे ग्रामीणों को मिली अंधेरे से आज़ादी 


रायपुर
: 23 अगस्त 2021: (छत्तीसगढ़ मेल ब्यूरो):: 

नक्सल आतंक के चलते यहां जनजीवन आसान नहीं है। विकास कार्य और भी मुश्किल होते हैं। फिर भी इस मकसद के लिए सर्कार कोई कसर नहीं छोड़ रही है। अब यहां घर घर मूलभूत सुविधाओं को तेज़ी से पहुंचाया जा रहा है। इन्हीं में एक सुविधा है रौशनी। घर घर रौशनी। हर गली मौहल्ले में रौशनी। 

प्राकृतिक सुंदरता और मनोहारी दृश्य के बीच भोले-भाले लोग बस्तर की पहचान है। नक्सली आंतक के बीच वर्षों से विकास में पीछे बस्तर इलाके का अंदरूनी हिस्सा बुनियादी सुविधाओं के लिए मोहताज रहा। ऐसा ही छिंदगुर, कांदानार और मुण्डागढ़ गांव है, जो सदियों से अंधेरे में ही डूबा रहा। विकास का पहिया यहां तक नक्सली भय की वजह से पहुचा ही नहीं। बिजली, पानी और सड़क की मांग को लेकर यहां के लोग आवाज उठाते तो थे, लेकिन आवाज वर्षों तक दबी की दबी ही रहीं। दरभा विकासखण्ड के अंतर्गत आने वाला कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के गोद में बसा धुरवा जनजाति बहुल्य सुंदर सा गांव कोलेंग के आसपास छिंदगुर, कांदानार और मुण्डागढ़ गांव के लोग अपने गांव में बिजली नहीं पहुच पाने से अंधेरे में ही डूबे रहे। जिससे लोगों का जीवन अत्यंत संघर्षमय होता चला गया। कई बार मूलभूत सुविधाओं की मांग करने वाले क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को भी नक्सलियों  ने अपना शिकार बनाया। दहशत और खौफ के साये में जी रहे इन गांवों में विकास का सूरज तब निकला जब शासन-प्रशासन द्वारा कोलंेग में सुरक्षा बलों के कैम्प की स्थापना की गई। कैम्प स्थापना के साथ ही तेजी से हुए विकास कार्यों की बदौलत जब गांव में स्वतंत्रता दिवस के 75 वें वर्षगांठ की पूर्व संध्या में बिजली आई तो गांववालों के लिए मानों अंधेरे से आजादी मिलने के साथ एक नया सबेरा था।

दरभा विकासखण्ड के अंतर्गत आने वाले छिंदगुर, कांदानार और मुण्डागढ़ गांव के लोगों में अब बिजली पहुच जाने की खुशी है। गांव के दशमू, सुबलू, लैखन एवं छेनूराम सहित सभी ग्रामीण खुश होकर कहते हैं कि अब हम भी रात में उजाले में रहकर अपने बच्चों को अच्छे से पढ़ा-लिखा सकते हैं। ग्रामीण दशमू ने कहा कि गांव में बिजली नहीं होने से शाम होते ही अंधेरा हो जाता है। गांव के बच्चे अंधेरा होने के बाद सो जाते हैं। अब बिजली आने से गांव के बच्चे देर रात्रि तक पढ़ाई कर सकते हैं और टीवी सहित अन्य संचार साधनों से भी जुड़कर ज्ञान हासिल कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि वह पहले बिजली के महत्व को नहीं समझते थे। उसका गांव दुर्गम इलाके में बसा है, ऐसे में उन्होंनेे कभी सोचा भी नहीं था कि वन क्षेत्र के बीच इस गांव में बिजली की सुविधा मिल पायेगी। यहां बिजली पहुचाकर सरकार ने ग्रामीणों को एक बहुत बड़ा तोहफा दिया है। दशमू ने कहा कि वह अपने बच्चे को पढ़ाई के लिए प्रेरित करेंगे और बिजली के महत्व को भी बतायेंगे।  

ग्राम छिन्दगुर, कांदानार एवं मुण्डागढ जिसमें कुल 24 मजरा टोला है। जिला मुख्यालय से लगभग 48 किलोमीटर दूर है। यहां राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत विद्युत लाइन विस्तार का कार्य लगभग तीन करोड़ रुपए की लागत से पूर्ण किया गया है। जिसमें 48 किलोमीटर 11 किलोवाट की लाइन बिछाने के साथ ही 19 नग 25 केवीए ट्रांसफार्मर स्थापित किए गए हैं। 42 किलोमीटर निम्न दाब लाइन बिछाने के साथ ही 571 घरों में निःशुल्क विद्युत कनेक्शन भी प्रदाय किया गया है। 100 बीपीएल परिवार वाले छिन्दगुर के उपरपारा, थानागुडी पारा, बुलकापार एवं सल्फीपदर पारा को प्रथम चरण में रौशन किया गया है। शेष 20 मजरा टोलों को इस माह के अंत तक अर्थात 31 अगस्त तक रौशन कर दिया जाएगा। विकास का पहिया यहां तक नक्सली भय की वजह से पहुच ही नहीं रहा था