उप राष्ट्रपति सचिवालय//Posted On: 06 NOV 2024 at 8:55 PM by PIB Delhi//Azadi ka Amrit Mahotsav//Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ राज्य महोत्सव के समापन समारोह में उपराष्ट्रपति के संबोधन का पाठ
सभी समानित पुरस्कार विजेताओं को बधाई, छत्तीसगढ़ में छत्तीससमान, अद्भुत, जिनको देखा ऊर्जा मिली है मुझे। सबसे पहले मैं आप सभी को छत्तीसगढ़ के स्थापना दिवस और राज्य उत्सव की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।
जब शताब्दी ने पलटी खाई छत्तीसगढ़ का उदय हुआ था और यह यात्रा यहां तक आ गई है, बहुत-बहुत शुभकामनाएं। कहते हैं, ‘छत्तीसगढ़ या सबसे बढ़िया’ - यह पुरानी कहावत है जो आज भी कानों में गूंजती है। यह छत्तीसगढ़ का प्रतिबिम्ब है और आज यहां आप सब इस कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं, साबित कर रहे हैं।
इस समापन समारोह में आकर मेरा मन गौरव से भर गया है। यह महोत्सव मातृभूमि की गरिमा का प्रतीक बन गया है, छत्तीसगढ़ की पावन धरती पर यह हो रहा है, यहां की समृद्ध संस्कृतिक विरासत का जीवन्त दस्तावेज़ है। आज के पावन दिवस पर हमारा संकल्प होना चाहिए कि राष्ट्रहित सर्वोपरि है, राष्ट्रवाद के प्रति हम सदैव समर्पित रहेंगे, हर पल हमें बोध होना चाहिए कि हम सभी भारतीय हैं, भारतीयता हमारी पहचान है, हमें इस पर गौरव है, इसपर आंच नहीं आने देंगे।
सन 2000 में इस राज्य को एक विशिष्ट पहचान मिली, इस अवसर पर जैसा पहले कहा गया है, पूर्व प्रधानमंत्री भारत रतन श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को याद नहीं करेंगे तो बड़ी चूक हो जाएगी, अटल जी की याद तो सदा आती है, देश हित और राष्ट्र हित पर अटल जी सदैव अटल रहते थे और मानवीय भावनाओं पर बेहद मुलायम, मुझे याद है 1990 का वो कालखंड, केन्द्रीय मंत्री के रूप में मैं यूरोप गया था, एक संसदीय दल का नेतृत्व कर रहा था, मेरा परम सौभाग्य था कि उस दल में सम्मानीय अटल बिहारी वाजपेयी थे, कितना ज्ञान मुझे उस समय मिला, उन्होंने तीन नए राजे छत्तीसगढ़, उत्तराखंड एवं झारखंड इस देश को भेंट दिए।
राजनीति में कैसी सरजरी की, किसी को दर्द नहीं हुआ, किसी को पीड़ा नहीं हुई, सहज तरीके से ये संभव हो गया, आज मैं उनको नमन करता हूँ। आपने एक बहुत बड़ी मिसाल कायम की है, माननीय मुख्य मंत्री जी, आपने पड़ोसी राज्य के मुख्य मंत्री को बुलाकर एक बड़ा मापदंड हासिल किया है। मध्यप्रदेश के मुख्य मंत्री, यहां मुख्य अतिति के रूप में जब उद्धाटन करते हैं तो हमें याद आता है कि अटलजी ने जो कारीगरी की, उसमें कहीं दर्द नहीं था, भाईपन था, भाईचारा था।
अगले साल, क्योंकि शताब्दी के शुरुवात में आपका उदय हुआ था, अगले साल, छत्तीसगढ़ अपने स्वर्ण युग में प्रवेश करेगा, इसका सुखद समन्वय भारत के अमृत काल के साथ हो रहा है। काल के चक्र के साथ जब हम आगे बढ़ते हैं, तब हमें हमारे गौरवपूर्ण और गरिमाई विरासत को नहीं भूलना चाहिए, ये मौका है, ये अवसर है, हमारे जननायकों एवं महापुरुषों को याद करना, उनका चिरंतन करना, उनका सुमिरन करना।
आज जब हम अमृत काल मना रहे हैं, मुझे इस बात का गर्व है, आपको भी है, जिन लोगों ने आजादी में योगदान दिया, उनको दूर-दूर जाकर हम नमन कर रहे हैं, उनको पहचान रहे हैं, उन्होंने जो देश के लिए किया, हम सब नतमस्तक हो रहे हैं और बदलाव देखिए, कितना सार्थक है, कितना गहरा है।
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